जीतने की हर ख्वाइश मेरी खो ती गयी
हर कदम पर मेरी राह गुमराह होती गयी..
यू तो चिरागो को भरते रहे सारी उमर
ना जाने क्यों रौशनी फिर खोती गयी।
मंजिलो को पाने की जद में रुके नहीं
हमसफ़र की गिनती कम होती चली गयी। .
हाँ शायद मैंने ही कल याद किया तुमको
रात भर पलके भीगी और गीली होती गयी.